दिन जा रहे हैं के रातों के साये - The Indic Lyrics Database

दिन जा रहे हैं के रातों के साये

गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - दूसरी सीता | वर्ष - 1974

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दिन जा रहे हैं के रातों के साए
अपनी सलीबें आप ही उठाए
जब कोई डूबा रातों का तारा
कोई सवेरा वापस ना आया
वापस जो आए वीरान साए
जीना तो कोई मुश्किल नहीं था
मगर डूबने को साहिल नहीं था
साहिल पे कोई अब तो बुलाए
साँसों की डोरी टूटे ना टूटे
जरा ज़िन्दगी से दामन तो छूटे
कोई ज़िन्दगी के हाथ न आए