मोहे आई ना जग की लाज घुंघरू तूत गे - The Indic Lyrics Database

मोहे आई ना जग की लाज घुंघरू तूत गे

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - रूना लैला | संगीत - मकबूल साबरी | फ़िल्म - रूना लैला के प्यार (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1987

View in Roman

वाइज़ के टोकने पे मैं क्यूँ रक्स रोक लूँ
उनका ये हुक़्म है के अभी नाचती रहूँमोहे आई न जग से लाज
मैं इतनी ज़ोर से नाची आज
के घुँघरू टूट गयेकुछ मुझपे नया जोबन भी था
कुछ प्यार का पागलपन भी था
एक पलक पलक बन तीर मेरी
एक ज़ुल्फ़ बनी ज़ंजीर मेरी
लिया दिल साजन का जीत
वो छेड़े पायलिया ने गीत
के घुँघरू टूट गयेमैं बसी थी जिसके सपनों में
वो गिनेगा अब मुझे अपनों में
कहती है मेरी हर अंगड़ाई
मैं पिया की नींद चुरा लाई
मैं बन के गई थी चोर
के मेरी पायल थी कमज़ोर
के घुँघरू टूट गयेधरती पे न मेरे पैर लगे
बिन पिया मुझे सब ग़ैर लगे
मुझे अंग मिले परवानों के
मुझे पँख मिले अरमानों के
जब मिला पिया का गाँव
तो ऐसा लचका मेरा पाँव
के घुँघरू टूट गये