अगर मुझ से मोहब्बत है, मुझे सब अपने गम दे दो - The Indic Lyrics Database

अगर मुझ से मोहब्बत है, मुझे सब अपने गम दे दो

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आपकी परछाईयाँ | वर्ष - 1964

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अगर मुझसे मोहब्बत है, मुझे सब अपने ग़म दे दो
इन आँखों का हर एक आँसू, मुझे मेरी कसम दे दो
तुम्हारे ग़म को अपना ग़म बना लूँ तो करार आए
तुम्हारा दर्द सीने में छूपा लूँ तो करार आए
वो हर शय जो, तुम्हे दुःख दे, मुझे मेरे सनम दे दो
शरीक-ए-जिन्दगी को क्यों शरीक-ए-ग़म नहीं करते
दुखों को बाटकर क्यों इन दुखों को कम नहीं करते
तड़प इस दिल की थोड़ी सी मुझे मेरे सनम दे दो
इन आँखों में ना अब मुझको कभी आँसू नजर आए
सदा हँसती रहे आँखे, सदा ये होंठ मुसकाये
मुझे अपनी सभी आहे, सभी दर्द-ओ-आलम दे दो