जाने न, जाने न हाय ये दुनिया जाने न दिल की लगी - The Indic Lyrics Database

जाने न, जाने न हाय ये दुनिया जाने न दिल की लगी

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - बुज़दिल | वर्ष - 1951

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जाने न, जाने न हाय
ये दुनिया जाने न दिल की लगी
बिगड़ी बनाऊँ, कैसे उनको मनाऊँ रे
ये दुनिया जाने न दिल की लगी
हाय राम, जाने न दिल की लगी
दिल में रहे वो मेरे
दिल की न जानी हाय दिल की न जानी
काँटों में उलझी रोये
मेरी ज़िंदगानी रोये मेरी जवानी
कैसे इसे सुलझाऊँ,
मैं कैसे कैसे इसे सुलझाऊँ रे
ये दुनिया जाने न दिल की लगी
हाय राम, जाने न दिल की लगी
साथ-सहारे छूटे
आस के तारे टूटे आस के तारे
कलियाँ तो खिल न सकीं
दिल से अंगारे फूटे दिल से अंगारे
आग से आग बुझाऊँ
बुझाऊँ कैसे आग से आग बुझाऊँ रे
ये दुनिया जाने न दिल की लगी
हाय राम, जाने न दिल की लगी
जाने न, जाने न हाय
ये दुनिया जाने न दिल की लगी