एक शहनशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल - The Indic Lyrics Database

एक शहनशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - लीडर | वर्ष - 1964

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एक शहेनशाह ने बनवा के हसीन ताजमहल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है
इस के साये में सदा प्यार के चर्चे होंगे
ख़त्म जो हो ना सकेगी वो कहानी दी है
ताज वो शम्मा है उल्फ़त के सनमखाने की
जिसके परवानो में मुफ़लीस भी है ज़रदार भी है
संगेमरमर में समाये हुये ख्वाबों की कसम
मरहले प्यार के आसान भी दुश्वार भी हैं
दिल को एक जोश इरादों को जवानी दी है
ताज एक ज़िंदा तसव्वुर है किसी शायर का
इसका अफ़साना हक़ीकत के सिवा कुछ भी नहीं
इस के आगोश में आकर ये गुमा होता है
ज़िन्दगी जैसे मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
ताज ने प्यार के मौजों को रवानी दी है
ये हसीन रात ये महकी हुई पुरनूर फज़ा
हो इजाज़त तो ये दिल इश्क का इज़हार करें
इश्क इन्सान को इन्सान बना देता है
किसकी हिम्मत है मोहब्बत से जो इन्कार करे
आज तकदीर ने ये रात सुहानी दी है