क्या बताएं कितनी हसरत दिल के अफसाने में है - The Indic Lyrics Database

क्या बताएं कितनी हसरत दिल के अफसाने में है

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - जोहराबाई अंबलेवाली | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - नाटक | वर्ष - 1947

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क्या बतायें कितनी हसरत
दिल के अफ़साने में है
सुबह गुलशन में हुई
और शाम वीराने में है
शाम वीराने में है
और शाम वीराने में है
शाम वीराने में हैहाय वो आग़ाज़-ए-उल्फ़त में ख़ुशी इकरार की
हाय वो किस-किस बहाने कोशिशें दीदार की
छुप के दुनिया की निगाहों से वो बातें प्यार की
अब ना जाने राज़ क्या मिल कर बिछड़ जाने में है
मिल कर बिछड़ जाने में है -२
शाम वीराने में हैक्या मुझे अपना बनाया था मिटाने के लिये
क्या ख़बर थी जावोगे जा कर न आने के लिये
जल उठी है आग़ ग़म की दिल जलाने के लिये
दिल लगाने का मज़ा अब घुट के मर जाने में है
अब घुट के मर जाने में है -२
शाम वीराने में हैकुछ समझ में ही नहीं आता कि अब जाऊँ किधर
ठोकरें खाना ही क़िसमत में लिखा है दर-ब-दर
मेरे मिटने की शकील उनको ना हो परवा मगर
उनका अफ़साना भी शामिल मेरे अफ़साने में है
अब मेरे अफ़साने में है -२
शाम वीराने में है