गोरी गोरी गणव की गोरी रे - The Indic Lyrics Database

गोरी गोरी गणव की गोरी रे

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - ये गुलिस्तां हमारा | वर्ष - 1972

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किशोर: गोरी गोरी गाँव की गोरी रे
किस लिये बुन रही डोरी रे
लता:ओ पिया, डोरी से बाँध ले गोरी रे
भागे जो करिके तू चोरी रे
ऐ जिया
किशोर: गोरी गोरी गाँव की गोरी रेकच्चे हैं तेरे ये रेशम के धागे
टूट जाये जो कोई तोड़के भागे
लता:जब से सै.य्या, तोसे नेहा लागे
पीछे पीछे मैं हूँ, तू आगे आगे
खिंचे चले आओगे, जाओगे जहाँ
जाके देखो तो बरजोरी रे
ओ पिया
किशोर: गोरी गोरी गाँव की गोरी रेमैं तो उड़ जाऊँगा इक पंछी जैसे
मुझे तू बन्दी बना लेगी कैसे
लता:तुझे मैं बन्दी बना लूँगी कैसे
सैय्यन, बैंया में बैंया डाल के ऐसे
तोरे होंठों से लग जाऊँगी मैं
बनके बाँसुरिया तोरी रे
ओ पिया
किशोर: गोरी गोरी गाँव की गोरी रेमैं हूँ परदेसी
मैं हूँ परदेसी, सुनले फिर ना कहना
चला जाना है, यहाँ नहीं रहना
लता:तेरा रस्ता देखेंगे मेरे नैना
यूँ ही दिन बीतेगा, बीतेगी रैना
चहे छुप जा तू घटाओं में चंदा
ढूँढ लेगी ये चकोरी रे
ओ पिया
किशोर: गोरी गोरी गाँव की गोरी रे
किस लिये बुन रही डोरी रे
लता:ओ पिया, डोरी से बाँध ले गोरी रे
भागे जो करिके तू चोरी रे
ऐ जिया