एक सवाल मैं करूँ - The Indic Lyrics Database

एक सवाल मैं करूँ

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर - मोहम्मद रफी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - ससुराल | वर्ष - 1961

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एक सवाल मैं करूँ, एक सवाल तुम करो
हर सवाल का सवाल ही जवाब हो
एक सवाल मैं करूँ, एक सवाल तुम करो
प्यार की बेला साथ सजन का फिर क्यों दिल घबराये
नैहर से घर जाती दुल्हन क्यों नैना छलकाये
है मालूम कि जाना होगा, दुनिया एक सराय
फिर क्यों जाते वक़्त मुसाफ़िर रोये और रुलाये
चाँद के माथे दाग है फिर भी चाँद को लाज न आये
उसका घटता बढ़ता चेहरा क्यों सुन्दर कहलाये
काजल से नैनों की शोभा क्यों दुगनी हो जाये
गोरे गोरे गाल पे काला तिल क्यों मन को भाये
उजियाले में जो परछाई पीछे पीछे आये
वही अन्धेरा होने पर क्यों साथ छोड़ छुप जाये
सुख में क्यों घेरे रहते हैं अपने और पराये
बुरी घड़ी में क्यों हर कोई देख के भी कतराये
किसके छूने से मिटटी भी सोना हो जाती है
किसका साया पड़े तो दौलत मिटटी बन जाती है
मेहतन-कश मिटटी को छू ले तो सोना हो जाए
हाथ लगे काहिल का दौलत मिटटी में मिल जाए