इक दिन बहारों ने तुमको सलाम हैं - The Indic Lyrics Database

इक दिन बहारों ने तुमको सलाम हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - आशा: | वर्ष - 1980

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इक दिन बहारों ने फूलों से ये कहा
काँटों की नोक पर खिलते हो तुम मगर
हँसते हो झूम कर ज़ख़्मों को चूम कर
इनसानों के लिए दीवानों के लिए
मुश्क़िल ये काम है
तुमको सलाम है हाँ तुमको सलाम हैकहिए साहेबान ये दास्ताँ कैसी लगी
ये दास्ताँ नहीं हाँ-हाँ जी हाँ नहीं कोई पयाम है
तुमको सलाम है ...अफ़सोस क्या दिल ख़ुशियों से था भरा
थोड़ा सा ये अगर छलका तो क्या हुआ
आधा छलक गया खाली नहीं हुआ
आधा भरा हुआ अभी ये जाम है
तुमको सलाम है ...तुमने तो बस मुझे जीना सिखा दिया
पर्दा उठा दिया जलवा दिखा दिया पर्दा उठा दिया
हर ज़ख़्म दाग़ है हर गुल चिराग़ है
तुमको सलाम है ...इस ज़िन्दगी को तुम थोड़ा सा प्यार दो
ग़म के भी रात-दिन हँस कर गुज़ार दो
क्योंकि ये ज़िन्दगी ऐ मेरे हमनशीं
कोई सज़ा नहीं ये इक इनाम है
तुमको सलाम है ...