गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - जोहराबाई अंबलेवाली | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1948
View in Romanफिर आह दिल से निकली, टपका लहू जिगर से
शायद वो जा रहे हैं, छुपकर मेरी नज़र से
छुपकर मेरी नज़र से-४
शायद वो जा रहे हैं, छुपकर मेरी नज़र सेमालूम क्या थ्हा दिल पर, इक ये सितम भी होगा
आयेंगे और आकर, फिर जायेंगे वो दर से
फिर जायेंगे वो दर से-४
आयेंगे और आकर, फिर जायेंगे वो दर सेवो जानते तो होंगे, मजबूरियाँ हमारी
हम जिनको देखते हैं, हसरत भरी नज़र से
हसरत भरी नज़र से-४
हम जिनको देखते हैं, हसरत भरी नज़र सेहम हो गये पराये, अब उनसे वासता क्या
केह दे ये उनसे कोई, गुज़रे ना वो इधर से
गुज़रे ना वो इधर से-४
केह दे ये उनसे कोई, गुज़रे ना वो इधर से