सांझ ढले गगन कथा हम कितने एकाकिय - The Indic Lyrics Database

सांझ ढले गगन कथा हम कितने एकाकिय

गीतकार - वसंत देवी | गायक - सुरेश वाडेकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - उत्सव | वर्ष - 1984

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सांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकीसांझ ढले गगन तले
हम कितने एकाकी
छोड़ चले नैनो को
किरणों के पाखीपथ की जाली से झाँक रही थीं कलियाँ-२
गंध भरी गुनगुन में मगन हुई थीं कलियाँ
इतने में टिमिर दस सपने ले नयनो में
कलियों के आँसुओं का कोई नहीं साथी
छोड चले नयनो को
किरणों के पाखी
सांझ ढले गगन तले ...जुगनू का पट ओढ़े आयेगी रात अभी-२
निशिगंधा के सुर में कह देगी बात सभी
कपत है मन जैसे डाली अम्बवा की
छोड़ चले नयनो को
किरणों के पाखी
सांझ ढले गगन तले ...