गीतकार - एस एच बिहारी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - शार्त | वर्ष - 1954
View in Romanकहाँ से ले के आई हैं कहाँ मजबूरियाँ मेरी
ज़ुबाँ ख़ामोश आँखें कह रही हैं दास्तां मेरीमेरी तक़दीर के मालिक मेरा कुछ फ़ैसला कर दे
बुरा चाहे बुरा कर दे भला चाहे भला कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक ...मुझे इतना बता दे मैं कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ
कहीं जाने से अच्छा है तेरे क़दमों में मर जाऊँ
सहारा दे नहीं सकता तो फिर बेआसरा कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक ...नहीं दुनिया में मेरा दूसरा कोई ठिकाना है
मुझे तो बस यहीं अपना मुक़द्दर आजमाना है
लिया है दिल तो मेरी जान भी तन से जुदा कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक ...मुझे बरबाद करने में जो होता हो भला तेरा
बुझा दे अपने हाथों से चिराग़-ए-ज़िन्दगी मेरा
नहीं कोई गिला तुझसे अगर चाहे फ़ना कर दे
मेरी तक़दीर के मालिक ...