एक बात पुच्छता हुं गर तुम बुरा ना मानो - The Indic Lyrics Database

एक बात पुच्छता हुं गर तुम बुरा ना मानो

गीतकार - अख्तर वारसी लखनवी | गायक - मुकेश, उषा? | संगीत - इकबाल कुरैशी | फ़िल्म - बनारसी ठग | वर्ष - 1962

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मु : एक बात पूछता हूँ
ऊ : हूँ
मु : गर तुम बुरा न मानो
ऊ : ना
मु : एक बात पूछता हूँ
ऊ : हूँ
मु : देखा कहीं है तुमने दिल मेरा खो गया है
मेरा ही हो के मुझसे नाराज़ हो गया है -२
बोलो तो ढूँढ लूँ मैं
ऊ : हूँ
मु : गर तुम बुरा न मानो
ऊ : नाएक बात पूछती हूँ
मु : हूँ
ऊ : कैसा है दिल तुम्हारा फिरता है मारा-मारा
बेदिल तुम्हें बनाकर खुद हो गया आवारा -२
समझा के भेज दूँ मैं
मु : हूँ
ऊ : गर तुम बुरा न मानो
मु : ना
मु : एक बात पूछता हूँ
ऊ : हूँऊ : नाराज़ है ये तुमसे रहने दो पास मेरे
जाता नहीं बेचारा घर से निकालूँ कैसे -२
दिल कैसे तोड़ दूँ मैं
मु : हूँ
ऊ : गर तुम बुरा न मानो
मु : ना
मु : एक बात पूछता हूँ
ऊ : हूँ