मान को पुकार कर मेरे लाल - The Indic Lyrics Database

मान को पुकार कर मेरे लाल

गीतकार - ज्ञान देव अग्निहोत्री | गायक - मन्ना दे | संगीत - कानू रॉय | फ़िल्म - आविष्कारी | वर्ष - 1973

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मां को पुकारकर पूछा बच्चे ने
आया कहाँ से हूँ माँ बोलो तो
पड़ा कहाँ पाया गया बोलो तो
सुनकर सवाल यह
माँ के स्तनों से उफन पड़ा दूध
और बह आया आँखों से उत्तरमेरे लाल
तुम तो हमेशा थे
मेरे मन की अभिलाषा मे
मेरे तन की परिभाषा मे
बचपन के गुड़ियाघर मे
कित्नी बार तुझे खेलते-खेलते तोड़ा
तोड़ते-तोड़ते जोड़ा
पाकर खोया और खोकर पाया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लाल(मिला था मन को मेरे जब इक तन
उप्जा था तू ही इक मधुर छंद बन)-२

गात-गात अंग अंग महका था छुन चननन
ओस भरी सुबह से
सुहाग के संगीत से
सब की मनुहार से
इँद्रधनुषी सप्नों सा आया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लालतू हाँ तू ही तो है मेरी अमर आशा
सुबह का सपना
माँ और दादी की सुनहरी ख़्वाहिश
प्रेम की परंपर क्वाब की ख़्वाहिश
और प्रेम की आशा से बनी तेरी कया है
कहाँ से बताऊँ तू आया है
पड़ा तुझे मैने कहाँ पाया है
मेरे लाल