उठो-उठो हे भरत तुम्हारे - The Indic Lyrics Database

उठो-उठो हे भरत तुम्हारे

गीतकार - NA | गायक - ना | संगीत - शंकर राव व्यास | फ़िल्म - भारत मिलाप | वर्ष - 1942

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वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो

वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो

गी : वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो

मु : जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो

गी : जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो

को : वतन की माटी हाथ

मु : माटी हो के सोना उगले

गी : माटी हो के सोना उगले ये सोना वो सोना है

को : ये सोना वो सोना है

दो : चोर चुराए डाकू लूटे खतम कभी नहीं होना है

मु : ऐसी प्यारी दौलत को

गी : ऐसी प्यारी दौलत को

दो : तनमन से अपना लो

को : जिस माटी ने जनम

मु : ग़ैरों ने बाहर से आ के

गी : ग़ैरों ने बाहर से आ के

मु : पेट भरे यहाँ अपने

को : पेट भरे यहाँ अपने

दो : सुख की नींद सदा वो सोए देखे सुख के सपने

को : सुख की नींद सदा वो सोए देखे सुख के सपने

मु : बन्द करो अब घर के द्वारे

गी : बन्द करो अब घर के द्वारे

को : जिस माटी ने जनम