सखी रे मेरा मन उलझे तन डोल - The Indic Lyrics Database

सखी रे मेरा मन उलझे तन डोल

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चित्रलेखा | वर्ष - 1964

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सखी रे मेरा मन उलझे तन डोले
अब चैन पड़े तब ही जब उनसे मिलन हो ले
सखी रि मेर मन उलझे तन डोले ...लाख जतन करूँ ध्यान बटे न
ये रसवन्ती रैन कटे न
पवन अगन सि घोले
अब चैन पड़े तब ही जब उनसे मिलन हो ले
सखी रि मेर मन उलझे तन डोले ...साँस भी लूँ तो आँच सी आये
चंचल काया पिघली जाये
अधरों में त्रिष्णा बोले
अब चैन पड़े तब ही जब उनसे मिलन हो ले
सखी रि मेर मन उलझे तन डोले ...