गीतकार - गुलजार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - बसेरा | वर्ष - 1981
View in Romanकभी पास बैठो, किसी फूल के पास
सुनो जब ये महकता है, बहोत कुछ ये कहता है
हो कभी गुनगुना के, कभी मुस्कुरा के
कभी चुपके चुपके, कभी खिलखिला के
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
कभी छोटे-छोटे शबनम के कतरे
देखे तो होंगे सुबह सवेरे
ये नन्ही सी आँखें जागी हैं शब भर
बहोत कुछ है दिल मैं बस इतना है लब पर
जहाँ पे सवेरा हो बसेरा वहीं है
ना मिट्टी ना गारा, ना सोना सजाना
जहाँ प्यार देखो वहीं घर बनाना
ये दिल की इमारत बनती है दिल से
दिलासों को छू के उम्मीदों से मिलके
जहाँ पे बसेरा हो सवेरा वहीं है