उन्हें भी राज़-ए-उल्फ़त की ना होने दी ख़बर मैं ने - The Indic Lyrics Database

उन्हें भी राज़-ए-उल्फ़त की ना होने दी ख़बर मैं ने

गीतकार - नक्षबी | गायक - ज़ोहरा बाई | संगीत - राशिद अत्रे | फ़िल्म - नतीजा | वर्ष - 1947

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उस मस्त नज़र पे पड़ी जो नज़र

उस मस्त नज़र पे पड़ी जो नज़र

कजरे ने कहा मत देखो इधर

मैं ने कहा मैं तो देखूँगा

कजरे न कहा देखो जी मगर

ऐ जी उलझ न जाना

कहीं उलझ न जाना

कहीं उलझ न जाना

देखो जी कहीं उलझ न जाना

सुन्दर मुखड़ा नैन सुहाने

जोबन के द्वार पे जैसे खड़े हों दो मस्ताने

भरी नज़र से देखा किसी ने

बोले पास नहीं आना

कहीं उलझ न जाना

कजरे की जोरी हँसे चोरी चोरी

जादू नज़र का चला के

नज़र के सहारे अदाओं के मारे

ज़ुल्फ़ोन का जाल बिछा के

देख के हाथ बढ़ाना

कहीं उलझ न जाना