निगाहें दिल से निकल कर दिल को गई हैं प्यार की रहने - The Indic Lyrics Database

निगाहें दिल से निकल कर दिल को गई हैं प्यार की रहने

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - सहगान, अनुराधा पौडवाल, सुरेश वाडकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - निगाहें | वर्ष - 1989

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निगाहें -३
दिल से निकल कर दिल को गई हैं प्यार की राहें
इन राहों पर आज मिली हैं तेरी निगाहें मेरी निगाहें
दिल से निकल कर दिल को ...कैसे कहाँ और ( कब हम मिले हैं ) -२
कैसे कहाँ और कब हम मिले हैं
तरस रहे हैं कितना तब हम मिले हैं
कैसे तड़पकर अब हम मिले हैं
बरसों भरी हैं इस दिल ने आहें
दिल से निकल कर दिल को ...झोंके पवन के पानी के रेले
इक दूसरे के बिन हम हैं अकेले
किस काम के ये मौसम के मेले
मैं थाम लेती हूँ तेरी बाहें
इन राहों पर आज मिली हैं ...इक दूसरे पे ( मरना पड़ेगा ) -२
बदनामियों से ( डरना पड़ेगा ) -२
इक दूसरे पे मरना पड़ेगा
अब प्यार हमको करना पड़ेगा
हम प्यार करना चाहें न चाहें
दिल से निकल कर दिल को ...