एक थी लद्दाकी मेरी सहेलि एक परदेसी दुउर से आया ये मत सोचो कल क्या होगा - The Indic Lyrics Database

एक थी लद्दाकी मेरी सहेलि एक परदेसी दुउर से आया ये मत सोचो कल क्या होगा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - गुमराह | वर्ष - 1963

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एक थी लड़की मेरी सहेली
साथ पली और साथ ही खेली
फूलों जैसे गाल थे उसके
रेशम जैसे बाल थे उसकेहम उसको गुड़िया कहते थे
रंगों की पुड़िया कहते थे
सारी थी मुझे प्यारी थी वो
नन्हीं राजकुलारी थी वोएक दिन उसने भोलेपन से
पूछा ये पापा से जा के
अब मैं ख़ुश रहती हूँ जैसे
सदा ही क्या ख़ुश रहूँगी ऐसेपापा बोले मेरी बच्ची
बात बताऊँ तुझ को सच्ची
कल की बात ना कोई जाने
कहते हैं ये सभी सियाने( ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा अच्छा होगा ) -२बचपन बीता आई जवानी
लड़की बन गई रूप की रानी
collegeमें इठलाती फिरती
बल खाती लहराती फिरतीएक सुन्दर चंचल लड़के ने
छुप-छुप कर चुपके-चुपके से
लड़की की तस्वीर बनाई
और ये कह कर उसे दिखाईइस पर अपना नाम तो लिख दो
छोटा सा पैग़ाम तो लिख दो
लड़की पहले तो शरमाई
फिर मन ही मन में मुस्काईइक दिन उसने भोलेपन से
पूछा ये अपने साजन से
अब मैं ख़ुश रहती हूँ जैसे
सदा ही क्या ख़ुश रहूँगी ऐसेउसने कहा की मेरी रानी
इतनी बात है मैने जानीकल की बात ना कोई जाने
कहते हैं ये सभी सियाने( ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा अच्छा होगा ) -३ऊँ हूँ -२इक परदेसी दूर से आया
लड़की पर हक़ अपना जताया
घर वालों ने हामी भर दी
परदेसी की मरज़ी कर दीप्यार के वादे हुये ना पूरे
रह गये सारे ख़ाब अधूरे
छोड़ के साथी और हमसाये
चल दी लड़की देस परायेदो बाँहों के हार ने रोका
वादों की दीवार ने रोका
घायल दिल का प्यार पुकारा
आँचल का हर तार पुकारापर लड़की कुछ मुँह से ना बोली
पत्थर बन कर ग़ैर की हो ली
अब गुमसुम हैरान सी है वो
मुझसे भी अनजान सी है वोजब भी देखो चुप रहती है
कहती है तो ये कहती हैकल की बात ना कोई जाने
कहते हैं ये सभी सियाने( ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा अच्छा होगा ) -३