कुशी जिसाने खोजी सुबाहा ना आइ शाम ना आई - The Indic Lyrics Database

कुशी जिसाने खोजी सुबाहा ना आइ शाम ना आई

गीतकार - नीरज | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - इकबाल कुरैशी | फ़िल्म - चा चा चा | वर्ष - 1964

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खुशी जिसने खोजी वो धन लेके लौटा
हंसी जिसने खोजी चमन लेके लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो
न तन लेके लौटा न मन लेके लौटासुबह ना आई, शाम ना आई (२)
जिस दिन तेरी याद ना आई, याद ना आई
सुबह ना आई, शाम ना आईकैसी लगन लगी ये तुझ से, कैसी लगन ये लगी
हंसी खो गई, खुशी खो गई
आँसू तक सब रहन हो गई
अर्थी तक सब नीलाम हो गई (२)
दुनिया ने दुश्मनी निभाई, याद ना आई
सुबह ना आई, शाम ना आईतुम मिल जाते तो हो जाती पूरी अपनी राम कहानी
घर घर ताज महल बन जाता, गंगा जल आँखों का पानी
सांसों ने हथकड़ी लगाई, याद ना आई
सुबह ना आई, शाम ना आईजैसे भी हो, तुम आ जाओ
आग लगी है तन में और मन में (२)
एक तार की दूरी है (२)
बस दामन और क़फ़न में
हुई मौत के संग सगाई, याद ना आईआ जाओ, आ जाओ, आ जाओ