दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे - The Indic Lyrics Database

दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - शागिर्द | वर्ष - 1967

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अय्या अय्या
दिल-विल प्यार-व्यार मैं क्या जानूँ रे
जानूँ तो जानूँ बस इतना कि मैं तुझे अपना जानूँ रे
अय्या
तू है बुरा तो होगा पर बातों में तेरी रस है
जैसा भी है मुझ क्या अपना लगे तो बस है
घर हो तेरा जिस नगरी में चाहे जो हो तेरा नाम रे
घर-वर नाम-वाम मैं क्या जानूँ रे
आदत नहीं कि सोचूँ कितनों में हसीन है तू
लट में हैं कितने घूंघर नैनों में कितना जादू
बस तू मोहे अच्छा लागे इतने ही से मुझको काम रे
लट-वट नैन-वैन मैं क्या जानूँ रे
कुछ जानती तो कहती रुत बनकर के मैं खिली हूँ
डाली सी झूमती मैं साजन से आ मिली हूँ
तू ही जाने रुत है कैसी और है कितनी रंगीं शाम रे
रुत-वुत शाम-वाम मैं क्या जानूँ रे