बुलबुलो मत रो यहाँ आँसू बहाना है मना - The Indic Lyrics Database

बुलबुलो मत रो यहाँ आँसू बहाना है मना

गीतकार - NA | गायक - नूरजहां | संगीत - हाफिज खान | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1945

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को : चाहे तू मिटा दे

चाहे तू बचा ले

ग़रीबों की दुनिया

है तेरे हवाले

अरे हाँ कभी बहती थीं यहाँ

दूध की नहरें

हर दिल में उठा

करती थीं आनन्द की लहरें

अब दुख के समन्दर में हैं

हम डूबने वाले

है तेरे हवाले

ग़रीबों की दुनिया

है तेरे हवाले

सै : ग़रीबों की क़िसमत

कुछ ऐसी है सोई

जहाँ में नहीं

उनका हमदर्द कोईइ

सु : सब उनके लहू को

समझते हैं पानी

अब इन के लिये

मौत है ज़िन्दगानी

सै : ना खाने को रोटी

हाँ

ना खाने को रोटी

ना तन पे है कपड़ा

मुसीबत है

और सहने को झगड़ा

दो : पड़े हैं ये ज़ालिम

ज़माने के पाले

को : ग़रीबों की दुनिया

है तेरे हवाले

सु : जहाँ को बनायें

जहाँ में रहें ना

मुसीबत सहें और

मुँह से कहें ना

सै : बेसब्र लाशें हज़ारों पड़ी हैं

बता ऐसी हालत में आँसू बहें ना

बता ऐसी हालत में आँसू बहें

दो : यूँ बहते हैं फूटे हुये दिल के छाले

को : ग़रीबों की दुनिया

है तेरे हवाले

चाहे तू मिटा दे

चाहे तू बचा ले

ग़रीबों की दुनिया

है तेरे हवाले