ऐ चाहुं या व्याप्त संतोषी जब मन से - The Indic Lyrics Database

ऐ चाहुं या व्याप्त संतोषी जब मन से

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, शंकर महादेवन | संगीत - शंकर एहसान लॉय | फ़िल्म - शूल | वर्ष - 1999

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ऐ चहुँ ओर व्याप्त अंधेर राज करे त्राहिमाम जनता समाज
देगा प्रचण्ड वो तुझको दण्ड पापी स.म्भल न कर कोई भूल
जो पाप तेरा हद से बढ़ेगा आके गिरेगा शंकर का शूलसंतोषी जब मन से बुलाए रूप बदल के सदाशिव आए
सारे जग से अधर्म मिटाए धर्म का पावन दीप जलाए
देगा प्रचण्ड वो ...मैं इश्वर को साक्षी मान कर शपथ लेता हूँ कि मैं सदा सच बोलूंगा
मैं निर्भय बनूंगा तथा धर्म के रास्ते पर चलूंगा
मैं देश की जनता की सेवा स.म्विधान सम्मत कानून के अनुसार करूंगा
मैं पुलिस विभाग के वरीय पदाधिकारियों का सम्मान करूंगा
एव.म उनके आदेश का अक्षरशः पालन करूंगा
संतोषी जब मन से ...