प्रभु जी मेरे अवगुण चित ना धारो - The Indic Lyrics Database

प्रभु जी मेरे अवगुण चित ना धारो

गीतकार - इन्दीवर | गायक - सहगान, अशोक कुमार | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - कंगन | वर्ष - 1972

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अ : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो
को : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो
अ : समदरसी है नाम तुम्हारो
को : समदरसी है नाम तुम्हारो
अ : नाम की लाज करो
को : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो -२अ : एक नदी एक नाला कहाय
मैल हो नीर भरो
को : एक नदी एक नाला कहाय
मैल हो नीर भरो
अ : गन्गा में मिल कर दोनों
गन्गा नाम परो
को : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो -२अ : काँटे और कलियाँ दोनों से
मधुबन रहे भरो
को : काँटे और कलियाँ दोनों से
मधुबन रहे भरो
अ : माली एक समान ही सीँचे
कर दे सबको हरो
को : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो -३अ : हा आ
मदिरा पिये छोड़ गन्गाजल -२
व्याकुल मन हो गयो है पागल
मन में रोग गरो
हो गुरु जी
मन में रोग गरो
सोओर श्याम की कृपा बिना
सोओर श्याम की कृपा बिना
कोई जग में
ना सुधरो ना सुधरो ना सुधरो
को : प्रभू जी मेरे अवगुन चित ना धरो
( प्रभू जी मेरे
अ : अवगुन चित ना धरो ) -३
( ना धरो
अवगुन चित ना धरो ) -२
चित ना धरो -३