चाँद सा मुखड़ा क्यों शरमाया - The Indic Lyrics Database

चाँद सा मुखड़ा क्यों शरमाया

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - आशा भोसले - मोहम्मद रफी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - इन्सान जाग उठा | वर्ष - 1959

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नटखट तारों हमें ना निहारो, हमरी ये प्रीत नयी
चाँद सा मुखड़ा क्यों शर्माया
आँख मिली और दिल घबराया
झुक गये चंचल नैना एक झलकी दिखलाके
बोलो गोरी क्या रखा है पलको में छुपाके
तुझको रे साँवरिया तुझसे ही चुराके
नैनो में सजाया मैंने कजरा बनके
नींद चुराई तू ने दिल भी चुराया
ये भीगे नज़ारे, करते हैं इशारे
मिलने की ये रुत है गोरी दिन हैं हमारे
सुन लो पिया प्यारे, क्या कहते हैं तारे
हमने तो बिछड़ते देखे कितनो के प्यारे
कभी ना अलग हुई काया से छाया