मुझे जब अपनी गुज़री - The Indic Lyrics Database

मुझे जब अपनी गुज़री

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - मेहरबान | वर्ष - 1960

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मुझे जब अपनी गुज़री ज़िन्दगानी याद आती है
तो बस इक मेहरबाँ की मेहरबानी याद आती है

ऐ मेरे दोस्त ऐ मेरे हमदम
वो तेरा ग़म था या ख़ुशी मेरी
हर जगह तूने मेरा साथ दिया
ऐ मेरे दोस्त ...

कौन था तू कहाँ से आया था
आज तक मैने ये नहीं जाना-२
तू मेरी रूह था मगर मैने
तेरे जाने के बाद पहचाना
ऐ मेरे दोस्त ...

तू सुदामा भी है और कन्हैया भी
कन्हैया कन्हैया
तू भिखारी भी है और दाता भी
तेरे सौ रंग हैं मेरे प्यारे
तू ही प्यासा है और तू ही झरना भी
ऐ मेरे दोस्त ...

तू मेरी बेबसी के आलम में
जब कभी मुझको याद आता है
सोचकर मेहरबानियाँ तेरी
दिल मेरा बैठ-बैठ जाता है
ऐ मेरे दोस्त ...

आख़्हरी अर्ज़ मेरी तुझसे है
हर ख़ता मेरी दरगुज़र करना
वो घड़ी आ रही है जब मुझको
इस ज़माने से है सफ़र करना
ऐ मेरे दोस्त ...