नैनों में महबूब के कंवारा नहीं मरना - The Indic Lyrics Database

नैनों में महबूब के कंवारा नहीं मरना

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - जान | वर्ष - 1996

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नैनों में महबूब के देखूंगी मैं डूब के
शादी के बाद मैं मर जाऊं तो ग़म नहीं कंवारा नहीं मरनासाहिल पे बैठ के दरिया के तूफ़ान का नज़ारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...ये लाज का घूंघट खोलूंगी ये बात मैं सबसे बोलूंगी
मेरे घरवालों चुप रहने का तुम मुझे इशारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...जा चुटकी भर सिंदूर मंगा जळी से मेरी मांग सजा
मैं मर गई तो लेके मेरा नाम तू पुकारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...पानी में आग लगानी है इस दिल पर चोट भी खानी है
हँसना है रोना है जीना है दिल थाम के गुज़ारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...ओ दिल का अरमान निकल जाए फिर चाहें जान निकल जाए
ओ दुनिया वालों तुम दो दिलों को जुदा ख़ुदारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...ये दिल का फूल नहीं खिलता तो मरके भी चैन नहीं मिलता
मिलने से पहले तेरी जुदाई मुझे गंवारा नहीं करना
कंवारा नहीं मरना ...