कौन किसी को बंध साका - The Indic Lyrics Database

कौन किसी को बंध साका

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - कालिया: | वर्ष - 1981

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र: कौन किसी को बाँध सका
हाँ कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना हैअंगड़ाई ले कर के जागी है नौजवानी -२
सपने नये हैं और ज़ंजीर है पुरानी
पहरेदार फ़ाते से
बरसो राम धड़ाके से
होशियार भइ सब होशियार
रात अंधेरी रुत बरखा और ग़ाफ़िल सारा ज़माना हैतोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन अरे पंछी को उड़ जाना हैओऽ होऽ
( खिड़की से रुकता है झोंका कहीं हवा का
हिल जायें दीवारें ऐसा करो धमाका ) -२
बोले ढोल ताशे से
बरसो राम धड़ाके से
होशियार भइ सब होशियार
देख के भी न कोई देखे ऐसा कुछ रंग जमाना हैतोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना हैकह दो शिकारी से फंदा लगा के देखे -२
अब जिसमें हिम्मत हो रस्ते में आ के देखे
निकला शेर हाँके से
बरसो राम धड़ाके से
जाने वाले को जाना है और सीना तान के जाना हैतोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है
को: ( कौन किसी को बाँध सका सय्याद तो इक दीवाना है
तोड़ के पिंजरा एक न एक दिन पंछी को उड़ जाना है ) -२