हैं देख रह हैं खुल्लम खुला प्यार करेंगे - The Indic Lyrics Database

हैं देख रह हैं खुल्लम खुला प्यार करेंगे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - एक महल हो सपनों का | वर्ष - 1975

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अरे देख रहे हैं
देखने दो
जल भी रहे हैं
तो जलने दो
खुली सड़क है बाबा
तो क्या हुआ भई
हाँ
तो हो जाए

खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों
इस दुनिया से नहीं डरेंगे हम दोनों
प्यार हम करते हैं चोरी नहीं
मिल गए दिल ज़ोरा-ज़ोरी नहीं
हम वो करेंगे दिल जो कहे
हमको ज़माने से क्या
खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे…

ए, देख वो, इश्क़ छुप-छुप के फ़रमा रहे हैं
है, क्या मज़ा, दिल ही दिल में तो घबरा रहे हैं
लगता है दोनों पड़ोसी हैं वो
रिश्ता ही ऐसा है जाने भी दो
हम वो करेंगे दिल जो कहे…

ए, सुन ज़रा, ये भी जोड़ी है कैसी निराली
है, साथ क्या, पीछे लाला चले आगे लाली
दोनों में शायद बनती न हो
अपनी तरह इनमें छनती न हो
हम वो करेंगे दिल जो कहे…

ऐ, बोलो ना, प्यार का है ये दुश्मन ज़माना
अरे सुन, हाँ बता, सबको मिलता नहीं ये ख़ज़ाना
जिनको अजी ये ख़ज़ाना मिले
देख-देख उनको ये दुनिया जले
हम वो करेंगे जो दिल कहे…