पीकू (टाइटल) - The Indic Lyrics Database

पीकू (टाइटल)

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2015

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सुबह की धुप पे इसी के दस्तखत है
इसी की रौशनी उडी जी हर तरफ है
यह लम्हो केर कुवे में रोज़ झांकती है
यह जाके वक़्त से हिसाब मांगती है
यह पानी है यह आग है
यह खुद लिखी किताब है
प्यार की खुराक सी है पिकू
सुबह की धुप पे इसी के दस्तखत है

पन्ना साँसों का पालते
और लिखे उनपे मन की बात रे
लेना इस को क्या किस से
इस को तो भाये खुद का साथ रे
बारिश की बून जैसी
सर्दी की धुंध जैसी
कैसी पहेली इसका हल न मिले

कभी यह आस्मा उतरती है निचे
कभी यह भागे ऐसे बादलों के पीछे
इसे हर दर्द घूँट जान का नशा है
करो जो आये जी में इसक फलसफा है
यह पानी है यह आग है
यह खुद लिखी किताब है
प्यार की खुराक सी है पिकू

मोड़ ले राहो के चहरे
इस को जाना होता जिस और है
ऐसे सरगम सुनाये
खुद इस के सुर है इस के राग है
रूठे रूठे तो मीचि जैसी
हास् दे तो चीनी जैसी
कैसी पहेली इसका हल न मिले

सुबह की धुप पे इसी के दस्तखत है
इसी की रौशनी उडी जी हर तरफ है
यह लम्हो केर कुवे में रोज़ झांकती है
यह जाके वक़्त से हिसाब मांगती है
यह पानी है यह आग है
यह खुद लिखी किताब है
प्यार की खुराक सी है पिकू.