जर्नी - The Indic Lyrics Database

जर्नी

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2015

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धीरे चलना है मुश्किल तो जल्दी ही सही
आँखों के किनारों में बहाने ही सही

हम चले बहारों में
गुनगुनाती राहों में
धड़कने भी तेज़ हैं
अब क्या करें
वक़्त है तोह जीने दे
दर्द है तो सीने दे
ख्वाहिशें अनजान है
अब क्या करें

शब्दों के पहाड़ों पे लिखी है दास्तान
ख्वाबों के लिफाफों में छुपा है रास्ता

हम चले बहारों में
गुनगुनाती राहों में
धड़कने भी तेज़ हैं
अब क्या करें
ो..वक़्त है तोह जीने दे
दर्द है तो सीने दे
ख्वाहिशें अनजान है
अब क्या करें

ो.. आकाश
ऐक्टू सबुजे चोख मुचिये दे…
घोर छरा मनशेर मोने

ो..जिया
रंग उड़ाने दे
हम नशे में हैं
भूल गए सवालों को सारे

महकी सी हवाओं में चले हैं हम कहीं
हम जो चाहे दिल को वो पता है या नहीं

हम चले बहारों में
गुनगुनाती राहों में
धड़कने भी तेज़ हैं
अब क्या करें
ो..वक़्त है तोह जीने दे
दर्द है तो सीने दे
ख्वाहिशें अनजान है
अब क्या करें

ो..आकाश
ऐक्टू सबुजे चोख मुचिये दे…
घोर छरा मनशेर मोने

ो..जिया
रंग उड़ाने दे
हम नशे में हैं
भूल गए सवालों को सारे.