काली कब तक छुपेगी जा जा जा रे तुझे हम जान गे - The Indic Lyrics Database

काली कब तक छुपेगी जा जा जा रे तुझे हम जान गे

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - रामलाल | फ़िल्म - सेहरा | वर्ष - 1963

View in Roman

कली कब तक छुपेगी एक भँवरे की निगाह से
चमक जाती है बिजली खुद ही इन गहरी घटाओं में
बरस पड़ती है शबनम आप ही ठण्डी फ़िज़ाओं से
अरे जा जा!
जा जा जा रे तुझे हम जान गये
कितने पानी में हो पहचान गये
तुम कितने पानी में हो पहचान गये
जा जा जा रे तुझे हम जान गयेआ~ किनारे आ के लहरों का इशारा देखने वाले
तुझे अपनी खबर भी है नज़ारा देखने वाले
तमशा खुद न बन जाना तमशा देखने वाले
जा जा
जा जा जा रे तुझे हम जान गयेआ~ बदल कर भेस परवाने का शमा झिलमिलाती है
नशीली शाम के पर्दे में सुबह मुस्कुराती है
वो शोला हो कि चिंगरी मचल कर नाच जाती है
तो धड़कते दिल से मेरे मदभरी आवाज़ आती है
जा जा अरे जा जा
जा जा जा रे तुझे हम जान गयेआ~ शमा से बच के रहना सारी तन मन को जला देगी
वो शोला हो कि चिंगरी लगी में और लगा देगी
सुबह जब मुस्कुरायेगी तो वो तूफ़ान उठा देगी
खुलेगा शाम क पर्दा वो तुझ को भी मिटा देगी
जा जा
जा जा जा रे तुझे हम जान गयेआ~ ये काली रेशमी ज़ुल्फ़ें शराबी नैन के प्याले
ये दिल का हाल कह देते हैं दोनों ये ही मतवाले
नहीं डरते किसी से जीत कर भी हारने वाले
क़यामत की नज़र रखते हैं लेकिन ताड़ने वाले
जा जा
जा जा जा रे तुझे हम जान गयेआ~ ये ज़ुल्फ़ें तो नहीं डसने वाले नाग हैं काले
ये दो आँखें नहीं ज़हर से भर्पूर हैं प्याले
तू आँखें रख के भी बेहोश है अरे ताड़ने वाले
क़यामत सामने है जान के पड़ जायेंगे लाले
जा जा
जा जा जा रे तुझे हम जान गये