चल चल रे मुसाफ़िर चल - The Indic Lyrics Database

चल चल रे मुसाफ़िर चल

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - पूजा | वर्ष - 1954

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चल चल रे मुसाफ़िर चल
तू उस दुनिया में चल)2
जहाँ दिल का एक इशारा हो
और दुनिया जाये बदल
चल चल रे...

मस्ती भरी हवाएं
जिस गली से जायें
अपना बनाएं
ये मदहोश निगाहें
जिस पे टिक जायें
अपना बनाएं
ये मदहोश निगाहें
जहां प्यार का रस्ता कोई न रोके
कोई न कहे सम्भल
चल चल रे...

रूप की प्यासी आँखें
दिल में अरमान, सौ तूफ़ान
आख़िर कभी तो होगी
उनसे पहचान ओ अन्जान
आख़िर कभी तो होगी
कभी तो रिमझिम बरसेंगे
ये रंग भरे बादल
चल चल रे...

यहाँ की रीत निराली
जो मौसम जाये जाके न आये
दम भर की उजियाली
जब दिन ढल जाये
दिल घबरा ए दम भर की उजियाली
जहां उजड़े न सिंगार किसीका
फैले ना काजल
चल चल रे...$