मोरे मन की नगरिया बसाई रे, माधो जी - The Indic Lyrics Database

मोरे मन की नगरिया बसाई रे, माधो जी

गीतकार - NA | गायक - लीला चिटनिस, मजुमदार | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1941

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मुहब्बत की ख़ुशी दो दिन की होऽऽ ग़म ज़िन्दगी भर केऽऽ

मुहब्बत की ख़ुशी दो दिन की होऽऽ ग़म ज़िन्दगी भर केऽऽ

ये जीना कोई जीना हैऽऽऽ जिये जाते हैं मर मर के

कभी ख़ामोश हो जाना कभी फ़रियाद कर लेना

मगर उस बेवफ़ा को चुपके चुपके याद कर लेना

हो छुपकर याद कर लेना

जुदाई में किसी की दो ही बातें अच्छी लगती हैं

मिली रोने से जब फ़ुर्सत तो उनको याद कर लेना

हो छुपकर याद कर लेना

कभी ख़ामोश हो जाना

मेरे बिछड़े हुए साथी मुझे बरबाद रहने दे

तू अपने प्यार की दुनिया

कहीं आबाद कर लेना

कभी ख़ामोश हो जाना