संसार है इक नदिया सुख दुख दो किनारे हैं - The Indic Lyrics Database

संसार है इक नदिया सुख दुख दो किनारे हैं

गीतकार - अभिलाषी | गायक - आशा भोंसले, मुकेश | संगीत - सोनिक-ओमी | फ़िल्म - रफ़्तार | वर्ष - 1975

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संसार है इक नदिया, दुःख-सुख दो किनारे हैं
न जाने कहाँ जाएं, हम बहते धारे हैंचलते हुए जीवन की, रफ़्तार में इक लय है
इक राग में इक सुर में, सँसार की हर शय है
सँसार की हर शय है ...
इक तार पे गर्दिश में, ये चाँद सितारे हैंधरती पे अम्बर की आँखों से बरसती है
इक रोज़ यही बूँदें, फिर बादल बनती हैं -२
इस बनने बिगड़ने के दस्तूर में सारे हैंकोई भी किसी के लिए, अपना न पराया है
रिस्श्ते के उजाले में, हर आदमी साया है -२
कुदरत के भी देखो तो, ये खेल पुराने हैंहै कौन वो दुनिया में, न पाप किया जिसने
बिन उलझे काँतों से, हैं फूल चुने किसने
हैं फूल चुने किसने ...
बे-दाग नहीं कोई, यहाँ पापी सारे हैं