उंचे निचे पर्वतों के साए हरे भरे पेड हैं - The Indic Lyrics Database

उंचे निचे पर्वतों के साए हरे भरे पेड हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - बड़ा दिन | वर्ष - 1997

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हे हे हे आ हा हा
ऊंचे नीचे पर्वतों के साए में है गांव
हरे भरे पेड़ हैं और घनी छांव
है यही दुनिया मेरी जो पहाड़ों से घिरी
रास्ता देखे तेरा पिया
हरे भरे पेड़ हैं ...झरनों में चाँदी सा पानी गुनगुनाए कोई धुन सुहानी
तू है राही दूर का आ के दो पल यहां ठहर जा
तू जो आएगा यहां चैन पाएगा यहां
लग जाएगा यहां तेरा जिया
हरे भरे पेड़ हैं ...हैरान हूँ मैं परदेसी मैने देखी थी बस्ती ऐसी
खिल गई दिल की कली महकी महकी सी है ज़िंदगी
तुझे मेरी है कसम यहीं तू रह जा सनम
भूल जाएगा तू ग़म होता है क्या
हरे भरे पेड़ हैं ...