चाँद छूपा बादल में, शरमा के मेरी जाना - The Indic Lyrics Database

चाँद छूपा बादल में, शरमा के मेरी जाना

गीतकार - महबूब | गायक - अलका याज्ञिक - उदित नारायण | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - हम दिल दे चुके सनम | वर्ष - 1999

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चाँद छुपा बादल में शर्मा के मेरी जाना
सीने से लग जा तू बलखाके मेरी जाना
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है, मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा कुछ और है
नज़दीकीयां बढ़ जाने दे
अरे नहीं बाबा, नहीं अभी नहीं नहीं
ये दूरियाँ मिट जाने दे
अरे नहीं बाबा, नहीं अभी नहीं नहीं
दूर से ही तुम जी भर के देखो
तुम ही कहो कैसे दूर से देखूँ
चाँद को जैसे देखता चकोर है
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है, मदहोश है, खामोश है
ये समा हाँ ये समा कुछ और है
आँचल में तू छुप जाने दे
अरे नहीं बाबा, नहीं अभी नहीं नहीं
ज़ुल्फों में तू खो जाने दे
अरे नहीं बाबा, नहीं अभी नहीं नहीं
प्यार तो नाम है सब्र का हमदम
वो ही भला बोलो कैसे करे हम
सावन की राह जैसे देखे मोर है
रहने भी दो, जाने भी दो, अब छोड़ो ना, मुँह मोडो ना
ये समा हाँ ये समा कुछ और है
आया रे आया चंदा अब हर ख्वाईश पूरी होगी
चांदनी रात में हर सजनी अपने सजना को देखेगी