चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा - The Indic Lyrics Database

चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा

गीतकार - Nil | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - शाम | वर्ष - 1981

View in Roman

चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रही
दिल में यादों के नश्तर से टूटा किये
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
बदनसीबी सर आँखों की दुश्मन बनी
सज संवर के भी दुल्हन न दुल्हन बनी
टिका माथे पे एक दाग़ बनता गया
मेहंदी हाथों से शोले उगलती रही
ख्वाब पलकों से गिरकर फ़ना हो गए
दो कदम चलके तुम भी जुदा हो गए
मेरी हारी थकी आँख से रात दिन
एक नदी आंसुओं सी उबलती रही
सुबह मांगी तो ग़म का अंधेरा मिला
मुझको रोता सिसकता सवेरा मिला
मैं उजालों की नाकाम हसरत लिए
उम्र भर मोम बनकर पिघलती रही
चंद यादों की परछाइयों के सिवा
कुछ भी पाया न तनहाइयों के सिवा
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा
रंग तक़दीर क्या क्या बदलती रही