ये सिंदुरी शाम छेदती है मन के तारी - The Indic Lyrics Database

ये सिंदुरी शाम छेदती है मन के तारी

गीतकार - शिव शंकर वशिष्ठ | गायक - दिलराज कौर | संगीत - अजयस्वामी | फ़िल्म - त्यागपत्र: | वर्ष - 1978

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(ये सिंदूरी शाम, ये सिन्दूरि शाम
छेड़ती है मन की तार
जी करता है उड़कर पहुंचूँ
नील गगन के पार) -२
ये सिंदूरी शामवो देखो, देखो न, दो पन्छी (spoken)
वो देखो, दो पंछी, उड़ते हैं गगन में
उड़ते हैं, लाखों गगन आज मेरे मन में
सतरंगी कल्पना में खोई
झरने से बहती जाऊँ
ये सिंदूरी शामफूलों की गंध लेके पवन -२
आया है पास, आया है पास
समझे मेरे राजा, नहीं समझे (spoken with laughter)
फूलों की गंध लेके पवन
आया है पास, आया है पास
रँगों में किसकी रँग
कर उड़ते ऊँची पतंग
क्या ही उसके संग (spoken)ये सिन्दूरी शाम, ये सिन्दूरि शाम
छेड़ती है मन की तार
जी करता है उड़कर पहुंचूँ
नील गगन के पार
ये सिंदूरी शाम