मोहन की मुरलिया बाजे, - The Indic Lyrics Database

मोहन की मुरलिया बाजे,

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1948

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मोरे जुबना का देखो उभार

मोरे जुबना का देखो उभार
पापी जुबना का देखो उभार

जैसे नदी की मौज
जैसे तुर्कों की फ़ौज

male voice: left, right, left, right ...

जैसे सुलगे से बम
जैसे बालक उधम
जैसे कोयल पुकार
देखो-देखो उभार ...

जैसे हिरनी कुलेल
जैसे तूफ़ान मेल
जैसे भँवरों की झूम
जैसे सावन की धूम
जैसे गाती फुहार
देखो-देखो उभार ...

जैसे सागर पे भोर
जैसे उड़ता चकोर
जैसे गेंदवा खिले
जैसे लट्टू हिले
जैसे गद्दर अनार
देखो-देखो उभार ...