तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - The Indic Lyrics Database

तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता - महेंद्र कपूर | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - धूल का फूल | वर्ष - 1959

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तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
हसीनों से अहद-ए-वफ़ा चाहते हो
बड़े नासमझ हो ये क्या चाहते हो
तेरे नर्म बालों में तारे सजा के
तेरे शोख़ कदमों में कलियाँ बिछा के
मोहब्बत का छोटा सा मंदिर बना के
तुझे रात-दिन पूजना चाहता हूँ
ज़रा सोच लो दिल लगाने से पहले
कि खोना भी पड़ता है पाने से पहले
इजाज़त तो ले लो ज़माने से पहले
कि तुम हुस्न को पूजना चाहते हो
कहाँ तक जियें तेरी उल्फ़त के मारे
गुज़रती नहीं ज़िन्दगी बिन सहारे
बहोत हो चुके दूर रहकर इशारे
तुझे पास से देखना चाहता हूँ
मोहब्बत की दुश्मन है सारी खुदाई
मोहब्बत की तक़दीर में है जुदाई
जो सुनते नहीं हैं दिलों की दुहाई
उन्ही से मुझे माँगना चाहते हो
दुपट्टे के कोने को मुँह में दबा के
ज़रा देख लो इस तरफ मुस्कुराके
मुझे लूट लो मेरे नज़दीक आ के
के मैं मौत से खेलना चाहता हूँ
ग़लत सारे दावे, ग़लत सारी कस्में
निभेंगी यहाँ कैसे उल्फ़त के रस्में
यहाँ ज़िन्दगी है रिवाजों के बस में
रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
रिवाजों की पर्वा न रस्मों का ड़र है
तेरी आँख के फ़ैसले पे नज़र है
बला से अगर रास्ता पुरख़तर है
मैं इस हाथ को थामना चाहता हूँ