आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है - The Indic Lyrics Database

आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है

गीतकार - प्रदीप | गायक - अमीरबाई, सहगान | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1943

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गाए जा गीत मिलन क

गाए जा गीत मिलन के, तू अपने लगन के

सजन घर जाना है

काहे छलके नैनों की गगरी काहे बरसे जल

तुम बिन सूनी साजन की नगरी परदेसिया घर चल

प्यासे हैं दीप नयन के, तेरे दर्शन के

सजन घर

लुट न जाए जीवन का ढेरा मुझको है ये ग़म

हम अकेले, ये जग लुटेरा बिछड़ें न मिलके हम

बिगड़े नसीब न बनके ये दिन जीवन के

सजन घर

डोले नयना प्रीतम के द्वारे मिलने की ये धुन

बालम तेरा तुझको पुकारे याद आनेवाले सुन

साथी मिलेंगे बचपन के खिलेंगे फूल मन के

सजन घर