बागों में खिलाते हैं फूल कसम तेरी - The Indic Lyrics Database

बागों में खिलाते हैं फूल कसम तेरी

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर, तलत महमूद | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - सुहाग सिंदूर | वर्ष - 1961

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त : बागों में खिलते हैं फूल क़सम तेरी आँखों की खा के -२
ल : आई समझ में जो भूल गिरे तेरे क़दमों में आ के -२त : ( घूँघट के पीछे ये रूप सादा
बदली में जैसे हो चाँद आधा ) -२
ल : तुम मेरे सपनों के नटखट कन्हैया -२
मैं हूँ तुम्हारे ख़्वाबों की राधा
त : हो बागों में खिलते हैं ...ल : ( आँखों में रखना दिल में बसाना
धरती के ज़र्रे को तारा बनाना ) -२
त : जीवन की राहों के मासूम साथी -२
तेरी नज़र पे लुटा दूँ ज़माना
ओ ओ बागों में खिलते हैं ...