अपनि गज़लों में तेरा हुस्न सुनाऊँ आ जा - The Indic Lyrics Database

अपनि गज़लों में तेरा हुस्न सुनाऊँ आ जा

गीतकार - फरहत शहजाद, खालिद शरीफ | गायक - गुलाम अली | संगीत - रफीक हुसैन | फ़िल्म - दिल्लगी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1993

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अपनी ग़ज़लों में तेरा हुस्न सुनाऊँ आ जा
आ ग़म-ए-यार तुझे दिल में बसाऊँ आ जा, आ जाबिन किये बात तुझे बात सुना कर दिल की
तेरी आँखों में हया रंग सजाऊँ आ जाअनछुये होंठ तेरे एक कली से छू कर
उसको मफ़हूम-ए-नज़ाक़त से मिलाऊँ आ जा, आ जामैंने माना के तू साक़ी है मैं मयकश तेरा
आज तू पी मैं तुझे जाम पिलाऊँ आ जाहीर वारिस की सुनाऊँ मैं तुझे शाम ढले
तुझमें सोये हुये जज़्बों को जगाऊँ आ जा, आ जाहै मेरे सीने में हर आन धड़कती ख़ुश्बू
आ मेरे दिल में तुझे तुझसे मिलाऊँ आ जा