है इसि में प्यार की आबारू - The Indic Lyrics Database

है इसि में प्यार की आबारू

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - अनपढ़ | वर्ष - 1962

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है इसी में प्यार की आबरू
वो ज़फ़ा करें मैं वफ़ा करूँ
जो वफ़ा भी काम न आ सके
तो वोही कहें के मैं क्या करूँ
है इसी ...(मुझे ग़म भी उनका अज़ीज़ है
के उन्हीं की दी हुई चीज़ है )-(२)
के उन्हीं की दी हुई चीज़ है
यही ग़म है अब मेरी ज़िंदगी
इसे कैसे दिल से जुदा करूँ
है इसी ...(जो न बन सके मैं वो बात हूँ
जो न खत्म हो मैं वो रात हूँ )-(२)
जो न खत्म हो मैं वो रात हूँ
ये लिखा है मेरे नसीब में
यूँही शम्मा बनके जला करूँ
है इसी ...(न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी की नज़र की हूँ जुस्तजू )-(२)
न किसी की नज़र की हूँ जुस्तजू
मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ
है इसी ...