सुन ऐ महज़बीं मुजे तुझसे इश्क नहीं - The Indic Lyrics Database

सुन ऐ महज़बीं मुजे तुझसे इश्क नहीं

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - दूज का चांद | वर्ष - 1964

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सुन ऐ माहज़बीं मुझे तुझसे इश्क़ नहीं
तुझसे इश्क़ नहीं नहीं नहींए वल्लाह
यूँ मैं तेरा क़ायल हूँ
नाज़-ओ-अदा पे मायल हूँ
जलवों का दम भरता हूँ
छुप-छुप के देखा करता हूँ
पर ऐ पर्दानशीं
मुझे तुझसे इश्क़ ...तुझसे नज़र जब लड़ती है
चोट सी दिल पर पड़ती है
पाँव बहकने लगते हैं
साँस दहकने लगती है
पर है मुझको यक़ीं
मुझे तुझसे इश्क़ ...गैर से जब तू हँस के मिले
जाग उठते हैं दिल में गिले
उलझन में पड़ जाता हूँ
सोच के कुछ घबराता हूँ
पर ए शोख़ हसीं
मुझे तुझसे इश्क़ ...तू वह दिलकश हस्ती है
जो ख़्वाबों में बसती है
तू कह दे तो जाँ दे दूँ
जान तो क्या ईमाँ दे दूँ
प ऐ हासिल-ए-दीं
मुझे तुझसे इश्क़ ...