पंख होते तो उद आती रसिया ओ ज़ालिमा - The Indic Lyrics Database

पंख होते तो उद आती रसिया ओ ज़ालिमा

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रामलाल | फ़िल्म - सेहरा | वर्ष - 1963

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पंख होते तो उड़ आती, रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग़ दिखलातीकिरनें बन के बाहें फैलायी
आस के बादल पे जाके लहरायी
दूर से देखा मौसम हसीं था
आनेवाले तू ही नहीं था
रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग दिखलाती ...यादों में खोयी पहुँची गगन में
पंछी बन के सच्ची लगन में
झूल चुकी मैं वादे का झूला
तू तो अपना वादा ही भूला
रसिया ओ ज़ालिमा
तुझे दिल का दाग दिखलाती ...