फ़लक़ पे जितने सितारे हैं वो भी शरमायें - The Indic Lyrics Database

फ़लक़ पे जितने सितारे हैं वो भी शरमायें

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - मेरे हुज़ूर | वर्ष - 1968

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फ़लक़ पे जितने सितारे हैं वो भी शरमायें
ऐ देने वाले मुझे इतनी ज़िंदगी दे दे
यही सज़ा है मेरी मौत ही न आये मुझे
किसी को चैन मिले मुझको बेकली दे देग़म उठाने के लिये मैं तो जिये जाऊँगा
साँस की लय पे तेरा नाम लिये जाऊँगाहाय तूने मुझे उल्फ़त के सिवा कुछ न दिया
और मैने तुझे नफ़रत के सिवा कुछ न दिया
तुझसे शरमिंदा हूँ, ऐ मेरी वफ़ा की देवी
तेरा मुजरिम हूँ मुसीबत के सिवा कुछ न दिया
ग़म उठाने के लिये मैं तो जिये जाऊँगा ...तू ख़यालों में मेरी अब भी चली आती है
अपनी पलकों पे उन अश्कों का जनाज़ा लेकर
तूने नींदें करीं क़ुरबान मेरी राहों में
मैं नशे में रहा औरों का सहारा लेकर
ग़म उठाने के लिये मैं तो जिये जाऊँगा ...