कुबासुरत हसीना जान ए जान जान ए मनो - The Indic Lyrics Database

कुबासुरत हसीना जान ए जान जान ए मनो

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - मिस्टर एक्स इन बॉम्बे | वर्ष - 1964

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कि : ख़ूबसूरत हसीना जान-ए-जाँ जान-ए-मन
रंग जिसके लबों का ढूँढता है चमन
तू नही तू नहीं वो हसीं तो सनम कोई और ही है
ल : ख़ूबसूरत दीवाना जान-ए-जाँ जान-ए-मन
सुन के जिसके फ़साने झूम उठा मेरा मन
तू नही तू नहीं वो हसीं तो सनम कोई और ही हैकि : कल वो मिली थी तो शब बातों में ढली थी
ल : हो मुझे छेड़ो ना ऐसे तो बता दो कौन थी वो
कि : ( ह हा ) -२ नाज़ों पली थी वो शबनम थी या कली थी
हो हो हो हो हो हो
जैसी वो थी वैसी
तू नही तू नहीं ...
ल : ख़ूबसूरत दीवाना ...ख़्वाबों में अक्सर वो आने-जाने लगा है
कि : ओ चलो छोड़ो रहने दो नहीं ये दिल्लगी अच्छी
ल : इस दिल्लगी में ये दिल जल जाने लगा है
हो हो हो हो हो हो
कैसे कह दूँ तू है
तू नही तू नहीं ...
कि : ख़ूबसूरत हसीना ...झूमे नज़ारे अगर वो ज़ुल्फ़ें सवारे
ल : ओ मेरा दिल ना जला सुन ले
मेरे बदले उसे चुन ले
कि : ( हा हा ) -२ समझी नहीं तू तेरी जानिब हैं इशारे
हो हो हो हो हो हो
हाँ हाँ तू ही है वो
दो : तू नही तू नहीं ...
कि : ख़ूबसूरत हसीना ...
ल : सुन के जिसके फ़साने ...
दो : तू नही तू नहीं वो हसीं तो सनम ( तेरा प्यार है ) -२